खुद मुस्कुराओ ज़रा हमे भी ऐसा एक मौक़ा दे दो। खुद मुस्कुराओ ज़रा हमे भी ऐसा एक मौक़ा दे दो।
पर यह भी संकट है कि मौन रहना जरूरी है और ऐसे पथ पर चलना है जहां कोई न हो पर यह भी संकट है कि मौन रहना जरूरी है और ऐसे पथ पर चलना है जहां कोई न हो
जहाँ के प्रतापी ने की आरम्भ काल की, होते जहाँ नव संवत्सर की कीर्तिगान। जहाँ के प्रतापी ने की आरम्भ काल की, होते जहाँ नव संवत्सर की कीर्तिगान।
मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए
शब्दों की भीड़ में मैं कवि को ढूँढ़ रही हूँ शब्दों की भीड़ में मैं कवि को ढूँढ़ रही हूँ
संपर्क टूटा विक्रम से तो ना समझ ये विफल रहा. संपर्क टूटा विक्रम से तो ना समझ ये विफल रहा.